बस ज़रा सा ही सफ़र बाकी है

कलंदरी के मज़े लेता हूँ
बस ज़रा सा ही सफ़र बाकी है

सांसें चलती हैं दम नहीं घुटता
तेरी रहमत का असर बाकी है


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