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Showing posts from December, 2016

कोई उसे बताये तो के माजरा क्या है

कागज की कशतियों में सवार हैं

sabak jisko wafa ka yaad hoga

तुम क्या गये के ज़िन्दगी अंजान हो गयी

बहुत दिल दुखाया है अपना