चंद सिक्कों से कुछ औकात बन गई होती
ज़रा सा सर झुका लिया होता
बिगड़ी हुई बात बन गई होती
अगर आ जाते छोड़कर अपनी दुनिया
अपने ख्वाबों की एक रात बन गयी होती
किसे पता है खुदाओं का किसके साथ हैं कब
अगर होता, तो नई जात बन गयी होती
मुद्दतों बाद मिले उनसे, गले लग जाते
उम्र भर के लिए सौगात बन गई होती
जरा तिजारत भी सीख लेते शह र से 'साहिल'
चंद सिक्कों से कुछ औकात बन गई होती
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