Mother's डे तो बस एक दिन का कारोबार है.

मेरा वजूद मेरी माँ का कर्ज दार है 
मगर मुकद्दरओं पे किसका इख्तियार है.
दुआ यही है इस ज़र्रा ए वीरानी की 
उसकी दुनिया में सुनु जब सुनु बहार है.
माँ का हर दिन है जब तक ये सांस क़ायम है 
Mother's डे तो बस एक दिन का कारोबार है.
सियासत दौलत अदावत गुनाहगारी ठीक है 
उसके दामन में भी बरसो का गम शुमार है

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