बात तो उसके गुनाहों की थी

चुरा के ले उड़ी तेरा चैन ओ सुकूं 
कारीगरी उसकी निगाहों की थी
करवटों में कटती रही रातें 
साज़िश काफ़िर अदाओं की थी
तुझसे कहते भी तो क्या कहते 
बेबसी सारी वफ़ाओं की थी
तोहमतें तेरे हिस्से में आ गयीं कैसे 
बात तो उसके गुनाहों की थी
उसने चाहत भी छुपा ली तुझसे 
पर्देदारी उसकी खताओं की थी

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