बड़ा काफ़िर सनम निकला

बड़ा काफ़िर सनम निकला 
तभी तो दम नहीं निकला.
हज़ारों इश्क़ फरमाए
मगर हमदम नहीं निकला.
है थू तेरी सियासत पर 
हुनर मनदो का गम निकला.
जिसे भी माना आदमी 
वही थोड़ा सा कम निकला.
हसी आती है इस दिल पर 
हर इक लम्हा जो नम निकला.

तवायफ सी सही है ज़िन्दगी 'साहिल' मुहब्बत दे 
बड़ी मुश्किल से काफ़िर की वफ़ाओं का भरम निकला

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