कोई बतलाए क्या ख्वाबों की कीमत

कोई बतलाए क्या ख्वाबों की कीमत
बड़ी किस्मत से मिलती है ये दौलत,
यहा सिक्कों की कुछ औकात नही 
मुहब्बत में तुली जाती है जन्नत,
तेरी दुनिया की हद से पार है वो 
जिसे हासिल है कुछ ख्वाबों की नेमत,
ना ज़मी ना आसमान ना घर ना दर 
यही है असली जन्नत की हक़ीक़त,

तुम जो फिरते हो लिए घूमते मैखाने मैं खुदा 
बनोगे एक दिन 'साहिल' खुदाओं की मुसीबत

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