हर तरफ जब वो नज़र आने लगे

हर तरफ जब वो नज़र आने लगे 
क्या कहोगे कितने पैमाने लगे 
कैसे खुशियां गम बराबर हो गए 
अब तो हम खुदको भी दीवाने लगे.
ऐसा कमाल खेल कैसे हो गया 
दर्द रानाई से मिलकर सो गया, 
उम्र भर दिल की सुनी और कुछ नहीं 
हादसे खुद छोड़ कर जाने लगे.
ना मौत का खौफ ना जिन्दगी की चाह 
अब कही जाकर मिली है उसकी राह 
अंधेरे उजाले सफेद हो गये वल्लाह 
पीकर फकीरी झूम कर गाने लगे.

जो भी है आमद है उसका नूर है 
शायर सुखन्वरी पे क्यू मगरूर है 
कौन "साहिल" किसका मखता क्या ग़ज़ल 
है मज़ा जब रब ही लिखवाने लगे.

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