दिल अपनी रहबरी पे कायम है

दिल अपनी रहबरी पे कायम है
तू अपनी रहजनी निभाता चल

फैसला सब यही पे होना है
जितना मरजी जहर पिलाता चल .

उसकी मर्जी से हो रहा है सब
बात काफिर को यह बताता चल ..

जाने कब तक का साथ है किसका
खुशनुमा ज़िन्दगी बिताता चल ..

तंग जहनों को उनके हाल पे छोड
अपने जैसों से दिल लगाता चल ..

ज़िसकी दुनिया है उसकी रहने दे
तू मुसाफिर है डगमगाता चल ..

हो गया खाक तेरा घर 'साहिल '
उसके किस्से मगर सुनाता चल ...

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