अब पहले कहीं से शराब आये

अब पहले कहीं से शराब आये
उसके बाद आये जो महताब आये
कल हमारे वजीर ने कुछ कहा है
कुछ तो कमबख्तों को जुलाब आये
जब भी किया इश्क हुआ नास अपना
हर बार साथ गमले के गुलाब आये
किसका सर फोड़ दूं सब अपने हैं
करने चाहत का वो हिसाब आये
लालटेन दिल की बुझने वाली है
रात गुजरे तो आफ़ताब आये
हम भी पढने का शौक रखते हैं
कोई तो हाथ में किताब आये

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