Kabhi kuch aur kaho

कभी  कुछ  और कहो
सुबह अधूरी है
शाम अधूरी है
गुज़रते वक़्त की
हर बात  कुछ  अधूरी है
एक अरसे  से खुद से
ये ही कह रहे हो तुम
कभी  कुछ  और कहो 
अभी कुछ  और कहो


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