Saajo Saaman ka jo Silsila Chala Hai

This poem has all the colours of life

with

love poetry and sad poetry

social pressures,aspirations,desires,depression


Actually you can't really describe the creative literature.



साजो सामांन का जो सिलसिला चला है 
सर गया, दर गया, जाने ये क्या  बला है, 

                     तुझको चाहा बहुत इतनी सी दास्ताँ ने 
                    रोज प़ू छा तेरी साँसों में क्या जला है, 

दोस्ती जिनसे  क़ी, दिल से निभा गए वो 
तूने पूछा  कभी उनसे भी, क्या गिला है ,

                    तेरी छत पर नहीं है , चांद कहीं ऊपर है 
                     चढ़ के छत पर यूहीं ,फिर हाथ क्या मला है ,

अपनों गैरों में हैं, तू फिर भी इतना तन्हा  है  ,
कैसे समझाएगा अपनों को क्या खला है .
                  
     तेरी हर बात पे 'साहिल ' यही लगता है उन्हें,
    तुझको चलनी थी नई चाल, क्या चला है .


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