January ki thand
है जनवरी की ठण्ड,कोहरा बड़ा है,
कड़ाके की सर्दी है पाला पड़ा है,
मज़ेदार है गर्मी कम्बल लपेटे
रजाई लिए रहना, खुशियाँ समेटे,
गरम पानी बिजली से मिलता कहाँ है
है बिजली नदारद जो गीज़र यहाँ है,
अदरक की चाय है नेमत खुदा की,
गाज़र के हलवे की किसने दुआ की,
जिन्हें इश्क है उनकी दौलत है सर्दी
वो पहने खड़े हैं मुहब्बत की वर्दी,
मूंगफली खाके जिए जा रहे हैं
जाड़े में सबके मज़े आ रहे हैं.
कड़ाके की सर्दी है पाला पड़ा है,
मज़ेदार है गर्मी कम्बल लपेटे
रजाई लिए रहना, खुशियाँ समेटे,
गरम पानी बिजली से मिलता कहाँ है
है बिजली नदारद जो गीज़र यहाँ है,
अदरक की चाय है नेमत खुदा की,
गाज़र के हलवे की किसने दुआ की,
जिन्हें इश्क है उनकी दौलत है सर्दी
वो पहने खड़े हैं मुहब्बत की वर्दी,
मूंगफली खाके जिए जा रहे हैं
जाड़े में सबके मज़े आ रहे हैं.
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