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Showing posts from September, 2016

अब पहले कहीं से शराब आये

मुहब्बतें गिनते गिनते थकान हो रही है

शिकारी बनोगे या शिकार बनोगे

मुहब्बत

दिल अपनी रहबरी पे कायम है

तुम्हारे इश्क की सोहबत

तुम्हारे हुस्न के आगे कहां यहा कुछ है